Nag panchami kab hai, जानिए शुभ मुहुर्त, पूजा विधि, कथा और महत्त्व

nag panchami kab hai: सावन लगते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। सबसे पहले सावन सोमवार, हरियाली तीज, नागपंचमी रक्षाबंधन आदि…। आज हम बात करेंगे भगवान शिव के गले में लिपटे हुए नाग देवता के त्योहार नाग पंचमी (Nag Panchami) की। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करके व रूद्राभिषेक करके भगवान शिव मनचाहा आशीर्वाद मांगों तो वह अवश्य ही पूरा होता है। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसाक, अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इससे दोष दूर होता है। दोष दूर करने के लिये इस मंत्र को उच्चारण करें – द ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा”

नाग पंचमी कब है (Nag Panchami Date 2021)

नाग पंचमी सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस यह तिथि 13 अगस्त दिन शुक्रवार (nag panchami kab hai) को पड़ रही है। इस त्योहार को पूरे भारत में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। जैसे कि दक्षिण महाराष्ट्र और बंगाल में यह बड़ा पर्व होता है। केरल में इस दिन शेषनाग जी की पूजा की जाती है। वहीं पश्चिम बंगाल, असम और उड़ीसा में इस दिन नागों की देवी मां मनसा की पूजा की होती है।….सावन व्रत में रहें स्वस्थ, अपनाएं ये डाइट प्लान

नाग पंचमी शुभ मुहुर्त (Nag Panchami 2021 Shubh Muhurt)

पंचमी तिथि प्रारंभ – 3:24 PM (12 अगस्त 2021)

पंचमी तिथि समाप्ति – 1:42 PM (13 अगस्त 2021)

पूजा मुहूर्त : 05:49 AM (सुबह) से 08:28 AM (सुबह) तक

अवधि : 2 घंटे 39 मिनट

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नाग पंचमी का महत्व – Significance of Nag Panchami

नाग पंचमी पूजन में आठ नागों के पूजा का विधान बताया गया है। इनमें वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय नामक अष्टनाग शामिल हैं। इस विषय में भविष्योत्तर पुराण में एक श्लोक लिखा है। श्लोक इस प्रकार है-

वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।

ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥

एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥

मान्यता है कि नाग देवता की पूजा धन-समृद्धि पाने के लिए भी की जाती है। यह माना जाता है कि नाग देवता, माता लक्ष्मी के रक्षक हैं। इस दिन (nag panchami kab hai) श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग के रुप में इनका पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सावन में भूल से भी न करें ये काम

Nag Panchami Kyu Manaya Jata hai

ऐसी माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला था उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। आखिर में भगवान शिव ने उसे पी कर अपने कंठ में रखा। भगवान शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष का कुछ बूंद नीचे गिरी और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही पूरी सर्प जाति विष से भर गई। सर्पदंश से लोग बचे रहे हैं इसलिये इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।

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नाग पंचमी की पूजा कैसे करें (Nag Panchami Puja Vidhi)

  • प्रात: उठकर घर की सफाई कर स्नान कर लें।
  • साफ तरीके से प्रसाद के लिए सेवई और चावल बना लें।
  • लकड़ी के पट्टे पर नाग देवता की मूर्ति या रख कर जल, सुगंधित फूल, चंदन से अर्ध्य दें।
  • नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृ्त, मधु ओर शर्कर का पंचामृ्त बनाकर स्नान कराएं।
  • प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल अर्पित करें।
  • नये वस्त्र, , हरिद्रा, सौभाग्य सूत्र, चंदन, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप, नैवेद्ध, ऋतु फल, तांबूल चढ़ाएं।
  • इसके बाद आरती करें।

 

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