कपालभाति प्राणायाम के फायदे और नुकसान : योग मन और शरीर को स्वस्थ रखने का बेहतरीन विकल्प है। इसे करने से पुराने से पुराना रोग भी चुटकियों में ठीक हो जाता है। कपालभाति एक क्लेजिंग टेक्नीक है, जिसे षट्कर्म के अनुसार योग में शामिल किया गया है। षट्कर्म वो क्रियाएं हैं, जिन्हें नियमित रूप से किया जाए, तो शरीर से 60 प्रतिशत विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
षट्कर्म क्रियाएं सांस के साथ की जाती है, इसलिए इसे प्राणायम कहते हैं। यदि इन क्रियाओं को सही तरीके से किया जाए, तो यह दिमाग को शांत रखने के साथ शरीर की ज्यादा से ज्यादा बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। कपालभाति, इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने भी मददगार साबित होती है।
कपालभाति प्राणायाम करने से शरीर से 80 % विषैले तत्त्व सांस के साथ निकल जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम की उचित व्याख्या है, “चमकने वाला मस्तक”। मस्तक पर तेज या चमक प्राप्त करना तभी संभव है जब आप प्रतिदिन इस प्राणायाम का अभ्यास करें। इसका तात्पर्य यह है कि आपका माथा सिर्फ बाहर से नही चमकता परंतु यह प्राणायाम आपकी बुद्धि को भी स्वच्छ व तीक्ष्ण बनाता है।
विषय सूची
कपालभाति कैसे करते हैं – Kapalbhati Steps in Hindi
- इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें।
- अपनी हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर रीड़ की हड्डी का सीधा रखते हुए बैठ जाएं।
- अब अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को फुलाएं।
- इसके बाद झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खिंचे।
- जैसे ही आप अपने पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है।
- प्राणायाम को करते हुए इस बात का ध्यान रखें की आपके द्वारा ली गई हवा एक ही झटके में बाहर आ जाए।
- इस प्राणायाम को करते समय आपको यह सोचना है कि आपके सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।
- अगर आप कपालभाति की शुरुआत (kapalbhati for beginners in hindi) कर रहे हैं तो पहले इसे कम समय से शुरु करें। फिर इस समय को धीरे धीरे बढ़ायें।
ध्यान रहे कपालभाति प्राणायाम करते समय पूरी सावधानियां बरतनी चाहिये। तब आपको कपालभाति के फायदे मिलेंगे। इस प्राणायाम का संबंध शरीर से नही दिमाग से होता है। अगर आप गलत तरीकों से इस प्राणायाम को करेंगे तो न्यूरोलॉजिकल समस्या एवं ह्रदय संबंधी रोग हो सकते हैं।
कपालभाति योग के फायदे – Kapalbhati benefits in hindi
वैसे तो कपालभाति के फायदे अनेक हैं। लेकिन इस लेख में हम आपको कपालभाति के उन 16 फायदों के बारे में बताएँगे जो मुख्य रूप से अधिक लाभकारी और उपयोगी हैं।
वजन कम करने में कपालभाती के फायदे – Kapalbhati Benefits for Weight Loss
आजकल हर कोई बढ़ते वजन और मोटापे से परेशान है। इसके लिये वह जिम, तमाम तरह के वर्कआउट व क्या कुछ नहीं करता। लेकिन कभी कभी उन्हें संतोषजनक परिणाम नहीं मिल पाता। या कभी लोगों के पास टाइम नहीं होता जिम जाने का या ज्यादा देर एक्सरसाइज करने का। उनके लिये कपालभाति सबसे ज्यादा कारगर है। कपालभाति को लगातार एक महीने तक करने से आप लगभग कई किलो तक वजन कम कर सकते हैं।
साइनस में कपालभाती के लाभ – Kapalbhati Benefits for Sinus
साइनस (Sinus) को ज्यादातर लोग एलर्जी के रूप में देखते हैं क्योंकि इसकी वजह से उन्हें धूल, मिट्ठी, धुंआ इत्यादि की वजह से सांस लेने में परेशानी होती है। लेकिन, यह मात्र एलर्जी नहीं है बल्कि नाक की मुख्य बीमारी है, जो मुख्य रूप से नाक की हड्डी के बढ़ने या तिरछी होने की वजह से होती है। यह कपालभाति प्राणायाम साइनस को शुद्ध करता है तथा मस्तिष्क को सक्रिय करने में मदद करता है।
कब्ज में फायदेमंद कपालभाति – Kapalbhati Benefits for Constipation
आज कब्ज न केवल बूढ़े लोगों में देखने को मिल रही है बल्कि बच्चे और युवा भी इस परेशानी का सामना करते नजर आ रहे हैं। आज कब्ज को सही करने की कई सारी दवाईयां बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन अगर आपको इससे हमेशा के लिये छुटकारा पाना है तो इसके लिये कपालभाति प्राणायाम रामबाण इलाज है। अपनी क्षमता के आधार पर इसे 3 से 5 मिनट तक करें। हो सकता है कि आपकी कब्ज़ कि समस्या 7-14 दिनों में ठीक हो जाए। बेहतर परिणाम के लिए इसके साथ वज्रासन और सूर्य नमस्कार भी आजमाएं।
कैंसर में कारगार कपालभाति – Kapalbhati Pranayam Benefits for Cancer
कैंसर एक गंभीर बिमारी बन गया है। कपालभाती प्रणायाम स्तन कैंसर के लिये बहुत ही फायदेमंद है। ध्यान रहे कैंसर शुरुआती चरण में होना चाहिए। यदि यह अंतिम चरण में है, तो फायदे की सम्भावना नहीं है। स्तन कैंसर के प्रमुख कारण मोटापा, महिला लिंग का होना, किसी भी तरह की कसरत न करना, शराब का सेवन और कई अन्य हैं।
बालों के लिये कपालभाति प्राणायाम फायदेमंद- Benefits of Kapalbhati for Hair
बाल गिरना, बाल सफेद होना आम समस्या हो गई है। यह सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं अपितु कम उम्र के बच्चों में भी देखने को मिल रही है। इसका कारण न्यूट्रीशन्स की कमी आदि हो सकता है। इसके अलावा कई अन्य समस्या या बिमारी के कारण भी बाल समय से पहले गिरने व सफेद होने लगते हैं। लेकिन अगर आप लगातार अनुशासन से कपालभाति प्राणायाम करेंगे तो इसका फायदा जरुर देखने को मिलेगा। इसका कारण यह है कि कपालभाति से खोपड़ी में रक्त का प्रवाह बढ़ता है जिससे बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं।
कपालभाति प्राणायाम कमजोरी को दूर भगाए – Benefits of Kapalbhati to improve stamina
अगर आप थोड़ा सा काम करके जल्दी जल्दी थक जा रहे हैं तो अपकी नसें कमजोर हैं। इसका कारण भोजन का अनुचित सेवन, अधिक तनाव, कम नींद और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली हैं। इससे आगे थकान, कम ऊर्जा का स्तर, सिरदर्द, नपुंसकता, बांझपन और कई अन्य समस्याएं होती हैं। कई योग गुरुओं के अनुसार, कपालभाति प्राणायाम नसों की कमजोरी की समस्या को ठीक करने के लिए एक आदर्श श्वास व्यायाम है।
इस प्राणायाम से आपके शरीर की लगभग सभी नसें सक्रिय हो जाती हैं और स्थिर भी हो जाती हैं। रिपोर्टों के अनुसार, लगातार 25 से 30 दिनों तक कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करने से नसों की कमजोरी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।
फेफड़ों को मजबूत बनाता है कपालभाति – Benefits of Kapalbhati for Lungs
आज हम जिस जगह पर रह रहें हैं वहां प्रदूषण बहुत बड़ी मात्रा में है। इससे हमें सांस की समस्या हो सकती है और हमारे फेफड़े ग्रसित हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर इसके दूसरी ओर कई कारण हैं जैसे धूम्रपान, शराब का सेवन, धूल-प्रदूषण, शरीर में वसा आदि। कमजोर फेफड़े को मजबूत बनाने के लिये कपालभाति का अभ्यास रोजाना सुबह और शाम जरूर करें।
फेफड़ों की सभी छोटी मोटी समस्याएं 30 दिनों से कम समय में ठीक हो सकती हैं। लेकिन अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। फेफड़ों के गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों के लिए इस की सिफारिश नहीं करते हैं क्योंकि यह उनके लिए अभ्यास करना मुश्किल है। प्रतिदिन कपालभाति प्राणायाम करने से हमे सही तरीके से सांस लेने का तरीका पता चल जाता है। इसका प्रयोग पहले हमारे ऋषि मुनि ध्यान योग अथवा मैडिटेशन करने के लिए करते थे।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे पीरियड्स (मासिक धर्म) में – Benefits of Kapalbhati for Periods
महिलाओं में मासिक धर्म को लेकर कई समस्याएं होती हैं। किसी को कम पीरियड्स होता है तो किसी को ज्यादा। किसी को कभी कभी ज्यादा दिनों के लिये आ जाता तो कभी आने में देरी हो जाती हैं। इन सभी समस्याओं के लिये कपालभाति एक उपहार है। कपालभाति को 10 से 15 दिनों तक लगातार अभ्यास करने से सारी समस्याएं ठीक हो जाती है।
किडनी रोग में कपालभाति प्राणायाम के लाभ – Benefits of Kapalbhati for Stones
अगर आप किडनी की पथरी से ग्रसित हैं तो आप के लिये कपालभाति रामबाण है। पथरी अगर शुरुआती स्तर पर है तो आपको खूब सारा पानी पीना चाहिये औऱ लगातार कपालभाती प्राणायाम का प्रयास करना चाहिये। इससे आपको बड़े से बड़े आपरेशन से छुटकारा मिलेगा।
कपालभाति गर्भाशय की गांठों (फाइब्रॉएड) में असरदार – Benefits of Kapalbhati in Fibroids
Fibroid वो गांठें होती हैं जो गर्भाशय की दीवार की मांसपेशियों में विकसित हो जाती हैं। इससे गर्भाशय का आकार बढ़ता है, भारी रक्तस्राव होता है, सेक्स करते समय दर्द और कुछ अन्य समस्याएं होती हैं। इसके लिए डॉक्टर कुछ पश्चिमी दवाओं का सुझाव देते हैं और कुछ मामलों में वे सर्जरी के लिए फैसला लेते हैं।
बाबा रामदेव ने कहा है कि वे लोग कपालभाति प्राणायाम से ठीक हो सकते हैं । उन्होंने खुद अपने कपालभाति हिंदी भाषण में इसका उल्लेख किया है, लेकिन रोगी को इसे अधिक बार करना चाहिए। इसे बिना किसी ब्रेक के लगातार 15 मिनट (900 बार सांस छोड़ना) किया जाना चाहिए। यह बीमारी जितनी खतरनाक है, उतनी ही अधिक बार सांस छोड़ने की भी जरूरत है।
त्वचा की चमक को कपालभाति रखे बरकरार – Benefits of Kapalbhati for Skin
कपालभाति से आपके चेहरे की चमक दोगुनी हो जाएगी। कपालभाति का अर्थ है कि माथे (खोपड़ी ) पर चमक। कपालभाती योग की मदद से आप अपने मुहाँसों का भी इलाज कर सकते हैं। अपनी ऊर्जा के आधार पर कपालभाती को 5 से 7 मिनट तक करना है । ऐसा करते समय, आप जोर से सांस छोड़ते हैं और इससे भारी मात्रा में रक्त चेहरे में आ जाता है।
कपालभाति मुहांसे व एक्ने की समस्या को दूर करता है – Kapalbhati benefits in Hindi for Acne
इससे चेहरे के सभी अशुद्ध तत्व साफ हो जाते हैं और मुहाँसे ठीक हो जाते हैं। इस सरल तकनीक से आपकी सभी मुहाँसों की समस्याएं अवश्य ही ठीक हो जाएगी।
तनाव या स्ट्रेस में कपालभाति के लाभ – Kapalbhati benefits in Hindi for Stress
कपालभाति करने का जो एक और बहुत ही अच्छा फायदा होता है वह है मानसिक तनाव से मुक्ति। कपालभाति प्राणायाम पहले मैडिटेशन या ध्यान करने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। जिससे आपका मन धीरे धीरे फोकस हो जाता है और शांत होने लगता है। मन के शांत होने से कोई भी चिंता या तनाव अपने आप दूर हो जाता है।
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एसिडिटी की समस्या दूर करता है कपालभाति – Benefits of Kapalbhati for Acidity
खाने की गलत आदतें और गलतसमय पर खानपान एसिडिटी की समस्या को पैदा कर सकता है और आपको परेशानी में डाल सकता है। इससे अपच, हार्टबर्न, पेट में जलन और गले में खराश, पेट की समस्याएं हो जाती हैं। यहां तक कि इसके लिए आपको डॉक्टरों और दवाओं के पीछे दौड़ने की जरूरत नहीं है। बस कपालभाती रोजाना 5 मिनट के लिए करें और 2 हफ्ते से भी कम समय में आपकी एसिडिटी की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
कपालभाती अनिद्रा की समस्या दूर करता है।
कपालभाति का प्रयोग प्राचीनकाल में ध्यान लगाने में किया जाता था। ध्यान (Meditation) लगाने के लिए मन का शांत होना भी उतना ही जरुरी होता है। कपालभाति रोज करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और मन शांत रहता है। शांत मन होने से नींद न आने की समस्या अपने आप ही दूर हो जाती है।
पेट की कोर muscle मजबूत बनाता है कपालभाति
कपालभाति करने के लिए पेट से हवा को जोर से बाहर निकालना होता है। ऐसा बार बार करने से पेट और लोअर बैक की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिससे आपका कोर मजबूत होता है।
रक्त प्रवाह में सुधार करता है कपालभाति – Kapalbhati for blood circulation
कभी कभी स्किन में कई तरह की समस्याए आ जाती हैं। जो की अलेर्जी की वजह से हो सकता है। बालों का गिरना, स्वांस सम्बन्धी बीमारियां , डेड स्किन का बनना आदि। इन सब का मुख्य कारण है शरीर में खून का संचार अच्छी तरह न होना।
अधिकतर लोग जानकारी के अभाव में तरह तरह की दवाएं भी ले लेते हैं जो एक तरह से उल्टा असर डालती है। कपालभाति प्राणायाम इसमें बहुत ही कारगर साबित होता है। यह ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ता है। साथ ही साथ इससे रक्त संचार भी बढ़ता है। ब्लड प्रेशर लेवल जिनका कम होता है उन्हें भी इसमें काफी लाभ मिलता है।
कपालभाती करते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिये
- कपालभाति करते समय अपनी सांस लेने की स्पीड को एक समान रखें। इसे घटाएं या बढ़ाएं नहीं।
- Kapalbhati Pranayam करते समय पूरा ध्यान पेट के मूवमेंट पर होना चाहिए।
- कपालभाति करते समय कंधे नहीं हिलने चाहिए।
- महिलाओं को यह प्राणायाम गर्भावस्था के दौरान अथवा उसके तुरंत बाद नहीं करना चाहिए।
- मासिक धर्म के दौरान भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- सांस अंदर लेते वक्त पेट बाहर की ओर और सांस छोड़ते वक्त पेट अंदर की ओर होना चाहिए।
- अगर आपको हार्निया, अल्सर, सांस की बीमारी या हाइपरटेंशन है, तो इसे करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
कपालभाति के प्रकार – Types of Kapalbhati in Hindi
यह प्राणायाम (kapalbhati benefits in hindi) तीन प्रकार के होते हैं।
वातक्रम कपालभाति
इसमें व्यक्ति सीधे ध्यान की मुद्रा में बैठकर अपनी एक उंगली से एक नासिका छिद्र को बंद करके दूसरी नासिका छिद्र से सांस खींचता है और तुरंत ही दूसरी तरफ की नासिका छिद्र को बंद करके सांस छोड़ता है।
व्युत्क्रम कपालभाति
इस योग में व्यक्ति नाक से गुनगुना पानी खींचता है और मुंह से निकालता है।
शीतकर्म कपालभाति
यह व्युत्क्रम कपालभाती (kapalbhati benefits in hindi) का उल्टा है।
इसमें पानी को मुंह में लेकर नाक से बाहर निकाला जाता है।
कपालभाति क्यों सभी को करना चाहिए – यहाँ देखें : pranayam video in hindi
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कपालभाति प्राणायाम के नुकसान – Kapalbhati Pranayam Side Effect
कपालभाति कब नहीं करना चाहिए – kapalbhati side effects in hindi
- ब्लड प्रेशर कि समस्या जिन्हें होती है उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिये।
- हर्निया से परेशान लोगों को कपालभाति नहीं करना चाहिये।
- गर्भवती महिला न करें कपालभाति प्राणायाम।
- मासिक धर्म के समय भी इस आसन को नही करना चाहिए।
- अल्सर रोगी न करें कपालभाति प्राणायाम
- यह आसन करते समय आपका पेट खाली हो नहीं तो कपालभाति प्राणायाम हानि अथवा नुकसान भी कर सकता है।
- कार्डियक की समस्या जिन्हें होती है उन्हें कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिये।
- हृदय की समस्याओं में दिल की विफलता, दिल का दौरा, एनजाइना और अबनोर्मल हार्ट रिदम शामिल है।
- सर्वाइकल के मरीजों को जोर से झटके के साथ कपालभाति नहीं करनी चाहिए।
- कपालभाति महिलाओं के लिए कभी कभी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। इससे इंटरनल अंगों पर प्रेशर बनता है और महिलाओं के यूट्रस पर असर हो सकता है।
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अधिकतर पूछे गए सवाल और उनके जवाब – FAQ
कपालभाति किन्हें नहीं करना चाहिये?
कपालभाति कैसे काम करता है?
– यह हार्मोन को बैलेंस करता है।
– ब्लड फ्लो या रक्त संचार प्रणाली को ठीक करने में मदद करता है,
– इससे बॉडी में कही भी गाँठ हो वो ठीक होती है,
– आंत (Intestine) साफ़ होती है, जिससे पेट की बीमारिया दूर होती है.
क्या कपालभाति से वजन कम होता है?
हाँ, जैसे की हमने आपको ऊपर बताया कि ब्लड फ्लो को ठीक करने में मदद करता है, जिससे शरीर का मेटाबोलिज्म ठीक होता है। इस प्रकार यह वजन कम करने में बहुत उपयोगी है।
क्या कपालभाति ध्यान साधना (meditation) में भी सहायक है?
इसका उपयोग पहले meditation के लिए ही किया जाता था, जिससे बॉडी में तेज या और उत्पन्न होता है और कुण्डलिनी जागरण में सहायता मिलती है। पुराने समय में ऋषि महात्मा लोग इस क्रिया को ध्यान (meditation) के लिए उपयोग करते थे।
कपालभाति कब नहीं करना चाहिए?
वैसे तो कपालभाति बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन इसे हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में धीरे धीरे करना चाहिये (60 बार एक मिनट में ) है। यह प्राणायाम धूल-धुआं-दुर्गन्ध, बन्द व गर्म वातावरण में न करें। मासिक चक्र के समय और गर्भावस्था के दौरान इसे न करें। बुखार, दस्त, अत्यधिक कमजोरी की स्थिति में इसे न करें।
सन्दर्भ :
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4959327/