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पति के लिये ऐसे रखें हरतालिका तीज व्रत, जानें Hartalika Teej का शुभ मुहूर्त, कथा

Hartalikha Teej

हरतालिका तीज हिंदू धर्म में महिलाओं के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। Hartalika teej विवाहित महिलाओं के साथ अविवाहित कन्याएं भी धूम धाम से मनाती हैं। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन खुशी से बीतता है। हरतालिका तीज भद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है।

हरतालिका तीज कब है व हरतालिका तीज की शुभ मुहूर्त क्या है? (Hartalika Teej Date and Time)

हरतालिका तीज इस बार 21 अगस्त 2020 दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। आइये जानते हैं हरतालिका तीज का पूजा करने का समय क्या है…

सुबह हरितालिका पूजा मुहूर्त – 06:05 AM से 08:39 AM

अवधि – 02 घण्टे 34 मिनट

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प्रदोषकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 06:54 PM से 09:08 PM

अवधि – 02 घण्टे 14 मिनट

तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 21, 2020 को 02:13 AM बजे

तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 21, 2020 को 11:02 PM बजे

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Hartalika Teej

हरतालिका तीज क्यों मनाते हैं? (Why Hartalika Teej is celebrated in Hindi)

हरतालिका तीज मनाने के पीछे एक भगवान शिव औऱ माता पार्वती की एक बड़ी कहानी है।

मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने इस दिन 108 जन्मों की एक स्थायी अवधि के समर्पण, भक्ति और तपस्या के बाद भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाया था। तब से सभी पत्नियां अपने पति के लिये हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज की पूर्व संध्या पर, महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं जिससे कि वह खुश और सफल विवाहित जीवन के लिए आशीर्वाद मांग सकें और अपने पतियों के कल्याण और अच्छे भाग्य के लिए प्रार्थना कर सकें।

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Hartalika Teej

हरतालिका तीज कथा क्या है? (Hartalika Teej Katha)

हरतालिका कथा का महत्व माता पार्वती को समझाया- भगवान शिव को पाने के लिये मां पार्वती ने बारह वर्षों तक तप, व्रत तक निराहार पत्तों को खाकर व्रत किया। उनकी इस निष्ठा से प्रभावित होकर भगवान् विष्णु ने हिमालय से पार्वती जी का हाथ विवाह हेतु मांगा। जिससे हिमालय बहुत प्रसन्न हुए और पार्वती को विवाह की बात कही।

पार्वती तो भगवान शिव को चाहती थी इसलिये उनको इस रिश्ते से काफी दुख हुआ। उन्होंने यह बात अपनी सहेलियो को बताई और जीवन त्यागने की बात कही। जिस पर सखी ने कहा यह वक्त ऐसी सोच का नहीं हैं और वन में ले गई। जहां पार्वती ने छिपकर तपस्या की। वन में तपस्या से खुश होकर शिव जी ने पार्वती को आशीर्वाद दिया और पति रूप में मिलने का वर दिया।

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वहीं हिमालय ने बहुत खोजा पर पार्वती ना मिली। जब मिलीं उन्होंने इस दुःख एवं तपस्या का कारण पूछा तब पार्वती ने अपने दिल की बात पिता से कही। इसके बाद पुत्री हठ के करण पिता हिमालय ने पार्वती का विवाह शिव जी से तय किया। इस प्रकार हरतालिक व्रत अवम पूजन प्रति वर्ष भादो की शुक्ल तृतीया को किया जाता हैं।

Hartalika Teej

हरतालिका तीज का क्या महत्व है? (Importance Of Hartalika Teej)

त्यौहार का महत्व बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती इस दिन एकजुट हुए थे। सफल शादीशुदा जीवन के लिए देवी गौरी से आशीर्वाद मांगने के लिए महिलाएं आमतौर पर से तीज (हब्बा) की पूर्व संध्या पर स्वर्ण गोवरी व्रत का पालन करती हैं।

प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह दिन बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन उपवास करते हैं और साथ ही देवताओं की पूजा करते हैं, उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और उनका शादीशुदा जीवन काफी खुशनुमा हो जाता है।

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हरतालिका तीज व्रत तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में गौरी हब्बा के रूप में भी व्यापक रूप से लोकप्रिय है। यह देवी गौरी के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हिंदू पर्व में से एक है।

Hartalika Teej

हरतालिका तीज की पूजा विधि क्या है? (Hartalika Teej Puja Vidhi)

हरतालिका तीज सामाग्री (hartalika teej samagri)

हरतालिका पूजन के लिए

बेलपत्र, बालू रेत या गीली काली मिट्टी , केले का पत्ता, शमी पत्र, तुलसी, धतूरे का फूल एवं फल, अकांव का फूल, कुमकुम, जनैव, मंजरी, अबीर , घी, तेल, वस्त्र, श्रीफल, नाडा़, कलश,  चन्दन, कपूर, दीपक, फूलों की माला

पार्वती माता की सुहाग सामग्री

काजल, मेहंदी, माहौर, बिछिया, बिंदी,चूड़ी, सिंदूर, कंघी, कुमकुम, सुहाग पुड़ा । 

पंचामृत के लिए

घी, शक्कर, दही, शहद, दूध, 

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हरतालिका तीज पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए मंत्र क्या हैं?

देवी पार्वती के लिए मंत्र

ओम उमायी पार्वतीयी जगदायी जगतप्रतिष्ठयी शान्तिरूपायी शिवाय ब्रह्मा रुपनी

भगवान शिव के लिए मंत्र

ओम हैरे महेश्वरया शम्भवे शुल पाडी पिनाकद्रशे शिवाय पशुपति महादेवाय नमः|

शामा मंत्र

जगनमाता मार्तस्तव चरनसेवा ना रचिता ना वा दत्तम देवी द्रविन्मापी भुयास्तव माया।

तथापी तवेम स्नेहम माई निरुपम यत्रप्रकुरुष कुपुत्रो जयत क्व चिदपी कुमाता ना भवती

शांति मंत्र

ओम दीहौ शांतिर-अंतरिकिक्सम शांतिह प्रथिवी शांतिर-अपाह शांतिर-ओसाधयाह शांतिह।

वानस्पतिय शांतिर-विश्व-देवाः शाहतिर-ब्रह्मा शांतिर सर्वम शांतिह शांतिरवा शांति सा मा शांति-एधी।

ओम शांति शांति शांति

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