Kanya Pujan On Navratri – नवरात्रि (Navratri) में कन्या खिलाने (kanya pujan navratri) का बहुत महत्व है। नवरात्रि पर कन्या पूजन (Kanya Pujan) से Maa Durga का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि Kanya Pujan के लिए बुलाई गई कन्याओं की आयु 2 साल से 10 साल तक होनी चाहिए। साथ ही नौ कन्याओं के साथ एक बालक भी होना चाहिए। इन्हें हनुमान जी (Hanuman) का रूप माना जाता है।
हालांकि आप अपनी सुविधानुसार कन्याओं को बुलाकर उनकी सेवा सत्कार कर सकते हैं क्योंकि सभी कन्याएं Devi का रूप होती है। जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती, उसी तरह कन्या पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना काफी जरूरी होता है।
कन्या पूजन नवरात्रि में दुर्गा मां के नौ दिन रूपों के पूजन के बाद अष्टमी पर मुख्य रूप से किया जाता है। वहीं कुछ लोग नवमी या दशमी को भी Kanya Pujan या kanjak puja करते हैं। इसके बाद दशमी को दशहरा का उत्सव मनाया जाता है।
विषय सूची
कन्या पूजन क्यों किया जाता है – kanya pujan kyu karate hain
मान्यता के अनुसार, एक बार माता वैष्णो देवी (Mata Vaishno Devi) ने अपने परम भक्त पंडित श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी न सिर्फ लाज बचाई बल्कि पूरी सृष्टि को अपने अस्तित्व का प्रमाण भी दे दिया। आज जम्मू-कश्मीर के कटरा कस्बे से 2 किमी की दूरी पर स्थित हंसाली गांव में माता के भक्त श्रीधर रहते थे। वे नि:संतान थे एवं दुखी थे। एक दिन उन्होंने नवरात्र पूजन के लिए कुँवारी कन्याओं को अपने घर बुलवाया। माता वैष्णो कन्या के रूप में उन्हीं के बीच आकर बैठ गई। पूजन के बाद सभी कन्याएं लौट गईं, लेकिन माता नहीं गईं।
बालरूप में आई देवी पं. श्रीधर से बोलीं- सबको भंडारे का निमंत्रण दे आओ। श्रीधर ने उस दिव्य कन्या की बात मान ली और आस–पास के गांवों में भंडारे का संदेशा भिजवा दिया। भंडारे में तमाम लोग आए। कई कन्याएं भी आई। इसी के बाद श्रीधर के घर संतान की उत्पत्ति हुई। तब से आज तक कन्या पूजन और कन्या भोजन करा कर लोग माता से आशीर्वाद मांगते हैं।
Kanya Pujan
कन्या पूजन किस दिन करें – kanya pujan kis din karna chahiye
अब आप सोच रहे होंगे कि kanya pujan kis din karna chahiye या kanya kis din khilani chahiye. kanya pujan की शुरुआत वैसे तो नवरात्रि के सातवें दिन यानि कि सप्तमी से ही शुरु हो जाती है, लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं उन्हें तिथि के अनुसार नौवें दिन यानी नवमी ( Navratri navami) और दशमी (dashami) को kanya pujan करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) या कन्या खिलाने का प्रावधान सबसे शुभ माना गया है। इस दिन कन्या पूजन करने से परिवार के दुखों का निवारण होता है और घर पर मां दुर्गा की कृपा बरसती है।
नवरात्रि में कन्याओं की संख्या और आयु का होता है महत्व
एक कन्या का पूजन
नवरात्र के सभी दिन एक कन्या की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी और नवमी पर नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है। एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
दो वर्ष की दो कन्या का पूजन
दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। दो वर्ष की कन्या का पूजन करने से घर में दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है।
तीन वर्ष की तीन कन्याओं का पूजन
तीन कन्याओं की पूजा करने से धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति होती है। तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप मानी गई हैं। त्रिमूर्ति के पूजन से घर में धन-धान्य की भरमार रहती है, वहीं परिवार में सुख और समृद्धि जरूर रहती है।
चार वर्ष की चार कन्या का पूजन
चार कन्याओं का पूजन करने से राज्यपद की प्राप्ति होती है। चार साल की कन्या को कल्याणी माना गया है। इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है।
पांच वर्ष की पांच कन्याओं का पूजन
पांच कन्याओं का पूजन करने से विद्या की प्राप्ति होती है। पांच वर्ष की कन्या रोहिणी होती हैं। रोहिणी का पूजन करने से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है।
छह वर्ष की छह कन्याओं का पूजन
छह कन्याओं का पूजन करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है। छह साल की कन्या को कालिका रूप माना गया है। कालिका रूप से विजय, विद्या और राजयोग मिलता है।
सात वर्ष की सात कन्याओं का पूजन
सात कन्याओं का पूजन करने से राज्य सम्मान का प्राप्ति होती है। सात साल की कन्या चंडिका होती है। चंडिका रूप को पूजने से घर में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष की आठ कन्याओं का पूजन
आठ कन्याओं का पूजन करने से सपंदा की प्राप्ति होती है। 8 वर्ष की कन्याएं शाम्भवी कहलाती हैं। इनको पूजने से सारे विवाद में विजयी मिलती है।
नौ वर्ष की नौ कन्याओं का पूजन
नौ कन्याओं का पूजन करने से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
दस वर्ष की कन्याओं का पूजन
दस साल की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूरा करती हैं।
कन्या पूजन कैसे करें – Kanya Pujan Vidhi – Kanya Pujan Kaise Karen
- Kanya Puja के दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान गणेश (Ganesh) और महागौरी की पूजा करें।
- कन्या रूपी माताओं को स्वच्छ परिवेश में आमंत्रित करें।
- कन्याओं के घर आने पर माता रानी के जयकारे लगाएं।
- कन्याओं के थाल में पैर धुला कर उन्हें आसन ग्रहण कराएं।
- kanya pujan samagri रख लें।
- अब उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
- हाथ में मौली बाधें।
- अब सभी देवी रूपी कन्याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर आरती उतारें।
- आरती के बाद सभी कन्याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं।
- भोजन के बाद कन्याओं को भेंट और उपहार दें।
- इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर उन्हें विदा करें।
नवरात्रि में कन्याओं को क्या गिफ्ट दें – kanya pujan gift ideas
नवरात्रि में अष्टमी को नौ कन्याओं और एक लंगूरा का भोग लगाने का प्रावधान है। इसके बाद कन्याओं को कुछ न कुछ उपहार (best gift for kanya pujan) देकर विदा किया जाता है। आप भी अपनी यथीशक्ति के अनुसार गिफ्ट दे सकते है। कन्याओं मुख्यत 10 वर्ष से छोटी होती हैं तो उन्हें पढ़ने लिखने की वस्तुएं जैसे पेंसिल (Pencil), रबर (Eraser), कटर (pencil sharpener), पैंसिल बॉक्स (Pencil Box), टिफिन (Tiffin Box Or Lunch Box), कलर (Color Box) आदि दे सकते हैं।
कन्याओं को हेयर क्लिप (Hair Clip), हेयर बैंड (Hair Band), रबर (Rubber Band) बैंड, ब्रेसलेट्स (bracelets), कलरिंग बुक्स (Coloring books) आदि दे सकती हैं। इससे वह खुश होंगे और आपको मन चाहा आशीर्वाद भी देंगे।
माँ दुर्गा के 9 रूप
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चन्द्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
Source :
– Kanya Puja