माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का उत्सव के रूप में मनाई जाने वाली हरियाली तीज 2021 (Hariyali Teej 2021) 11 अगस्त को पड़ा रही है। हरियाली तीज या श्रावण तीज का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे छोटी तीज या श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। वही पूर्वी यूपी में यह कजली तीज 2021 के नाम से भी बहुत प्रसिद्ध है। नाम तो इसके बहुत हैं लेकिन इसके पीछे के उद्देश्य और कहानी एक ही है तो आइये आपको बताते हैं क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज…
क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज
ऐसा माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन सैकड़ों साल की साधना के बाद देवी पर्वती का मिलन भगवान शिव से हुआ था। साथ ही यह भी माना जाता है कि भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 बार जन्म लिया, फिर भी शिव जी उन्हें पति के रूप में न मिले। फिर माता पार्वती ने 108वीं बार जब जन्म लिया और हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में घोर तपस्या की। पुराणों की कथा के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए, साथ ही उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था।
हरियाली तीज कब है
इस साल हरियाली तीज का 11 अगस्त दिन गुरुवार को मनाई जाएंगी। इस दिन महिलाएं पूरें साज श्रृंगार के साथ अपने पति के लंबी आयु के व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
हरियाली तीज शुभ मुहूर्त
तृतीया आरम्भ – अगस्त 10, 2021 को 18:08:11 से
तृतीया समाप्त – अगस्त 11, 2021 को 16:56:07 पर
यह भी पढ़ें – भगवान शिव के लिये ऐसे किया था पार्वती जी ने कजली तीज व्रत, पढ़िये पूजा की सारी जानकारी
हरियाली तीज पूजा विधि
इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन सुबह उठकर घर और पूजा स्थान की सफाई स्नान आदि से निवृत होकर घर को तोरण से सजाएं। इसके बाद सोलह श्रंगार करें। इसके बाद पूजा की चौकी पर साफ मिट्टी में गंगाजल मिलाकर भगवान गणेश, शिवलिंग और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं और इनका श्रंगार करें। इस दिन सभी देवाताओं का आवाहृान कर विधिवत पूजा करें। सुहाग का सामान माता पार्वती को अर्पित कर तीज व्रत की कथा सुनें। अंत में मा गौरी से सुहाग की कामना करते हुए दिव्य पूजा संपन्न करें।
हरियाली तीज की पौराणिक कथा
ये कथा भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन से जुड़ी है। इस कथा अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को याद दिलाया- कैसे उन्होंने शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था। लेकिन उन्हें प्राप्त ना कर सकीं। फिर उनका पर्वतों के राजा हिमालय के घर में जन्म हुआ। फिर माता पार्वती ने अपने 108वें जन्म में हिमालय पर ही कठोर तपस्या किया। भगवान शंकर बताते हैं कि कैसे माता पार्वती की स्थिति को देखकर उनके पिता बहुत दुखी और नाराज हो गए थे। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को पार्वती माता ने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण किया और मुझे प्रसन्न कर लिया।
यह भी पढ़ें – सावन में भूल से भी न करें ये काम, जानिये सावन का सोमवार व्रत में क्या करना चाहिये क्या नहीं
इसके बाद माता पार्वती ने अपने पिता हिमालय को बताया, कैसे उन्होंने शिव को प्रसन्न कर उन्हें विवाह के लिए मना लिया है। पर्वतराज भी प्रसन्न होकर माता पार्वती को अपने साथ ले गए। फिर पूरी विधि विधान के साथ शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। शिव कहते हैं “हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था। उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। आगे भी इस तिथि पर इस व्रत पूरी श्रद्धा के साथ करने वाली हर स्त्री को मैं मन वांछित फल दूंगा। इस व्रत को करने वाली हर स्त्री को तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी।
यह भी पढ़ें – हर मनोकामना पूरी करेंगे भगवान शिव, जानिये सावन के सोमवार की पूजा विधि
हरियाली तीज की पूजन सामग्री
- बालू-रेत या गीली काली मिट्टी, बेलपत्र, केला का पत्ता, शमी पत्र, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल,
- तुलसी, जनैव, मंजरी, नाडा़, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते,
- श्रीफल, अबीर, कलश, चन्दन, कपूर, घी-तेल, कुमकुम, दीपक, फुलहरा
पार्वती माता की सुहाग सामग्री
मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, आलता आदि
यह भी पढ़ें – शिव जी को ऐसे करें खुश, पढ़े यह सावन सोमवार व्रत कथा
हरियाली तीज व्रत के नियम
- इस व्रत को सुहागिन और कन्याएं दोनों रख सकती हैं। लेकिन एक बार रखने के बाद जीवन भर व्रत को रखना पड़ता है।
- अगर किसी प्रकार से महिला व्रत नहीं रख पा रही है, तो घर अन्य महिला या उसका पति व्रत को रख सकता है।
- व्रत करने वाली महिला को किसी पर भी गुस्सा या पति के साथ क्लेश नहीं करना चाहिए।
- किसी बुजुर्ग का अपमान न करें।
- इस व्रत में सोने नही चाहिये। यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है।
- व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही खोला जाता है।
यह भी पढ़ें – सावन के सोमवार व्रत में रहें स्वस्थ, अपनाएं ये डाइट प्लान