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नवरात्रि कलश स्थापना की 20 जरूरी बातें, कैसे हुई Navratri की शुरुआत

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नवरात्रि (Navratri) मुख्यत साल में 4 बार पड़ती हैं। पहला चैत्र नवरात्रि, दूसरा अषाढ़ नवरात्रि, तीसरा शारदीय नवरात्रि और चौथा गुप्त नवरात्रि पड़ती है। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि मुख्य रूप से मनाई जाती है। 

सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि की शुरुआत की थी।

उन्होंने 9 दिन तक समुद्र तट पर पूजा की थी और उसके बाद 10वें दिन लंका विजय के लिए प्रस्‍थान किया और विजय प्राप्त की।

 

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नवरात्रि Navratri पर कलश स्थापना की सामाग्री (Kalash Sthapana Samagri)

Kalash sthapana ki samagri के लिए आप एक मिट्टी का कलश उपयोग करें। अगर यह न मिल पाए तो आप स्टील, तांबा, पीतल किसी भी धातु का लोटा उपयोग कर सकते हैं।

इसके अलावा कलश स्थापना में आपको साफ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, रूई, नारियल, चावल, इलायची, सुपारी, रोली, मौली, शक्कर, जौ, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, यज्ञोपवीत, अबीर, गुलाल, केसर, सिन्दूर, लौंग, पान, सिंगार सामग्री, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्ब पत्र या आम के पत्ते, दूध, दही, गंगाजल, शहद आदि की आवश्यकता पड़ेगी।

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नवरात्रि Navratri पर घट या कलश स्थापना कैसे करें (Kalash Sthapana kaise kare in hindi)

Shardiya Navratri में Ghat sthapana का बहुत अधिक महत्व है। तो आइय़े जानते हैं Kalash sthapana kaise karte hai…

        “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै।

         प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं                 नारीकेलं”।

      ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य

      धरत्री।

      पृथिवीं यच्छ पृथिवीं द्रीं ह पृथिवीं मा हि सीः।।

–    देवी-देवताओं का कलश में आवाहन के लिये इस मंत्र का जप करें

 ॐ भूर्भुवःस्वःभो वरुण! इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।ओम अपां पतये वरुणाय नमः 

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नवरात्रि Navratri क्यों मनाई जाती है : पहला कारण

पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिसने तप करके ब्रह्माजी को प्रसन्न कर एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान यह था कि उसे कोई देव-दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी मनुष्य न मार सके। लेकिन  वरदान मिलने के बाद वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया।

माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि Navratri क्यों मनाया जाता है : दूसरी कारण

ऐसी मान्यता है कि shardiya Navratri की शुरुआत भगवान राम ने की थी। सबसे पहले रामेश्वरम में समुद्र के किनारे 9 दिन मां शक्ति की पूजा की। जिसके बाद उन्होंने लंका पर जीत हासिल की। यही वजह है कि शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन Dussehra मनाया जाता है।

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माँ दुर्गा के 9 रूप

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